Thursday 26 July 2012

SAPnE

जो नींद में जीते ज़िन्दगी के पल 
करते जिस दुनिया में मुश्किलें हल 
उड़ चले संग रैना 
करने इच्छाओ को पूरा 
थामे आँचल खुशियो का 
न निंदिया का दामन  छोड़ा 
खुली आँखों से कुछ को पूरा करते भी देखा है 
टूट कर बिखर जाने पर रोते बिलखते भी देखा है 
हाँ मेने देखा है… कुछ के बेरंग सपनो में रंग भरते 
कुछ के धूल में मिलते भी देखा है..!!!


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