Wednesday, 4 October 2017

एक चिठ्ठी मेरे 'उन' के नाम - 'शायद चल जाएगा'।

हाँ है चाहत कि तारीफ करे हर बार वो जब भी मैं खूबसूरत दिखूं,
पर अगर सालो-साल में कभी एक बार भी अचानक वो बोल दे, "अच्छी दिख रही है आज" तो चल जाएगा!

हाँ है चाहत कि मेरे घर मे घुसते साथ मेरी उदासी भाँप ले वो,
पर अगर उसने बिना ध्यान के आकार अपनी शरारत व बातो से मुझे उदासी भूलने पे मजबूर करदिया तो चल जाएगा।

हाँ है चाहत कि छुट्टी के दिन को बिताए मेरे साथ,
पर अगर दोस्तों के साथ वक़्त बिता के आने पर मुझे हँसी का हर किस्सा बताने को बेताब रहे, तो चल जाएगा।

हाँ है चाहत कि अच्छे और प्यारे मौको पे सरप्राइज दे वो मुझे पर अगर जन्मदिन पे मेरे 12 बजे खाली हाथ भी विश करेगा तो शायद चल जाएगा।

हाँ है चाहत कि भीड़ में मेरे साथ रहे, न छोड़ें अकेला मुझे,
पर दूर कही से साथ किसी और के खड़े हुए, अगर एक बार मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा भी दे तो शायद चल जाएगा।

हाँ है चाहत कि थक कर जब रात में आउ मैं तो दिन भर की मेरी कहानिया सुनने को बेताब बैठा हो,
पर अगर थक कर वो सो जाए और नींद में आते सपनो में मुस्कुराए तो चल जाएगा।

हाँ है चाहत कि प्यार मुझसे बे-इंतेहा करे कोई,
पर अगर बातें सुनने और मेरे मन को समझने वाला हुआ तो शायद चल जाएगा।

बेशुमार ना सही, बस प्यार हो, बार बार हो तो शायद चल जाएगा।

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